Thursday, January 24, 2019

मणिकर्णिका में कंगना रनौत को देख दीवाने हुए 'भारत कुमार,' बोले- वो इसी काम के लिए पैदा हुई है

हिंदी सिनेमा में देशभक्ति फिल्मों के लिए महशूर दिग्गज अभिनेता-फिल्मकार मनोज कुमार ने कंगना रनौत की जमकर तारीफ़ की है. कंगना की फिल्म 'मर्णिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी' देखने के बाद न्यूज एजेंसी आईएएनएस से एक्टर ने कहा, "मुझे लगता है कि कंगना पर्दे पर उनका (रानी लक्ष्मीबाई) किरदार निभाने के लिए ही पैदा हुई हैं. फिल्म में हर किसी ने शानदार काम किया है, लेकिन कंगना ने रानी लक्ष्मीबाई के किरदार को परदे पर अमर कर दिया."

मणिकर्णिका, कंगना की महत्वाकांक्षी फिल्म है. ये इसी 25 जनवरी को रिलीज हो रही है. हाल ही में मुंबई में मणिकर्णिका की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी. बॉलीवुड के तमाम दिग्गजों ने फिल्म देखी. मनोज कुमार फिल्म को लेकर काफी खुश नजर आए. बताते चलें कि मनोज कुमार की पहचान भारत कुमार के रूप में की जाती है. उन्होंने अपनी करियर में कई देशभक्ति फिल्मों का निर्माण किया.

मनोज कुमार को उपकार, पूरब पश्चिम, शहीद, क्रांति और 'रोटी कपड़ा और मकान' जैसी महशूर फिल्मों में अभिनय और निर्माण के लिए याद किया जाता है.

यह भी बताते चलें कि मणिकर्णिका के जरिए कंगना रनौत निर्देशन में डेब्यू करने जा रही हैं. उनके निर्देशन में ही फिल्म के काफी हिस्से की शूटिंग की गई है. इसी वजह से निर्देशन के लिए कृष के साथ उन्हें भी क्रेडिट दिया जा रहा है. ये फिल्म रिपब्लिक डे वीक पर रिलीज हो रही है. इसके साथ बाल ठाकरे के जीवन पर बनी नवाजुद्दीन सिद्दीकी और अमृता राव स्टारर ठाकरे भी रिलीज हो रही है.

मणिकर्णिका 2019 में रिलीज हो रही बड़े बजट की पहली फिल्म है. कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर बनी फिल्म का बजट करीब 100 करोड़ रुपये है. कंगना, मणिकर्णिका के जरिए बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट का इंतज़ार कर रही हैं.

आतंकवाद का रास्ता छोड़कर सेना में शामिल होने वाले लांस नायक नजीर वानी को अशोक चक्र अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. ये पहला मौका है जब आतंक की नापाक राह से लौटे किसी जवान को देश के इतने बड़े सम्मान से नवाजने का निर्णय लिया गया है.

नजीर वानी ने 2004 में आत्मसमर्पण किया था. इसके कुछ वक्त बाद ही नजीर ने भारतीय सेना ज्वॉइन कर ली थी. कभी सेना के खिलाफ लड़ने वाले इस बहादुर जवान ने आतंकवादियों से लड़ते हुए नवंबर, 2018 में अपनी जान वतन के नाम कुर्बान कर दी थी.

दरअसल, पिछले साल नवंबर में शोपियां में कुछ आतंकियों के छुपे होने की खबर पर सुरक्षाबलों की टीम उन्हें मौत के घाट उतारने पहुंची थी. इस दौरान 6 आतंकवादियों ने एक घर में शरण ली थी, जिसे जवानों ने चारों तरफ से घेर लिया था. आतंकियों पर प्रहार करते हुए नजीर वानी ने एक दहशतगर्द को मार गिराया था. जबकि जवाबी फायरिंग में वह खुद भी घायल हो गए थे.

आतंकियों की गोली से जख्मी होने के बावजूद नजीर वानी ने उस घर में छुपे आतंकियों को भागने नहीं दिया. लांस नायक नजीर आतंकियों के भाग निकलने के रास्ते पर डटे रहे और उन्होंने एक और आतंकी को मौत के घाट उतार दिया. हालांकि, इस ऑपरेशन में दहशतगर्दों की गोलियां का निशाना बने नजीर वानी भी शहीद हो गए.

नजीर वानी की इस बहादुरी के लिए उन्हें अशोक चक्र सम्मान देने का फैसला किया गया है. राष्ट्रपति सचिवालय की तरफ से बताया गया है कि नजीर वानी एक बेहतर सैनिक थे और उन्होंने हमेशा चुनौतीपूर्ण मिशन में साहस दिखाया. बता दें कि नजीर वानी की जांबाजी के लिए उन्हें दो बार सेना मेडल भी मिल चुका है.

नजीर वानी कुलगाम के चेकी अश्‍मूजी गांव के रहने वाले थे. नजीर के परिवार में उनकी पत्‍नी और दो बच्‍चे हैं. साल 2004 में नजीर वानी ने टेरिटोरियल आर्मी से सेना में अपनी सेवा देनी शुरू की थी. 2007 में उन्हें पहला सेना मेडल और 2017 में दूसरा सेना मेडल दिया गया.

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