Monday, December 31, 2018

84 सिख दंगा मामला: मंडोली जेल की बैरक नं. 14 में रहेंगे सज्जन कुमार

1984 सिख दंगों के दोषी पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने सोमवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत में सरेंडर कर दिया. उन्हें मंडोली जेल में भेज दिया गया है जहां उन्हें बैरक नंबर 14 में रखा गया है. अभी हाल में दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को दंगे का दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. सज्जन कुमार ने सरेंडर की तारीख में कुछ मोहलत देने की गुहार लगाई थी जिसे कोर्ट ने नकार दिया था.     

सज्जन कुमार के वकील ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि उनके मुवक्किल को राहत मिलने की संभावनाएं काफी कम हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में 1 जनवरी को छुट्टियां खत्म हो रही हैं जिससे उनकी अपील पर सुनवाई की उम्मीद नहीं है. सज्जन कुमार के वकील ने कहा, 'हम हाईकोर्ट के फैसले पर अमल करेंगे.'

बीते 17 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सिख दंगे का दोषी ठहराते हुए ताउम्र कारावास की सजा सुनाई थी. अपने फैसले में अदालत ने कहा था कि '1984 दंगे में राष्ट्रीय राजधानी में 2700 सिखों की हत्या की गई और यह घटना अविश्वसनीय नरसंहार थी.' कोर्ट ने इस घटना को 'मानवता के खिलाफ अपराध' बताया और कहा कि इसके पीछे वैसे लोग थे जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था और कानून का पालन करने वाली एजेंसियों ने भी इनका साथ दिया.

कोर्ट ने अपने फैसले में इस बात का जिक्र किया कि देश के बंटवारे के समय से ही मुंबई में 1993 में, गुजरात में 2002 और मुजफ्फरनगर में 2013 जैसी घटनाओं में नरसंहार का यही तरीका रहा है और प्रभावशाली राजनीतिक लोगों के नेतृत्व में ऐसे हमलों में 'अल्पसंख्यकों' को निशाना बनाया गया और कानून लागू करने वाली एजेंसियों ने उनकी मदद की.

हाईकोर्ट ने बीती 21 दिसंबर को सज्जन कुमार के उस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था, जिसमें उन्होंने अदालत में समर्पण की मियाद 30 जनवरी तक बढ़ाने का अनुरोध किया था. सज्जन कुमार ने यह अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि उन्हें अपने बच्चों और जायदाद से जुड़े कुछ पारिवारिक मसले निबटाने हैं और शीर्ष अदालत में इस फैसले को चुनौती देने के लिए भी वक्त की जरूरत है.

लोकसभा में पास होने के बाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 यानी तीन तलाक बिल का असल इम्तिहान राज्यसभा में होना है. निचले सदने में सरकार के पास बहुमत होने के चलते यह विधेयक 245 मतों से पास हो गया, जबकि 11 वोट विपक्ष में पड़े थे. वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस, एआईएडीएमके, समाजवादी पार्टी और डीएमके ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग करते हुए वॉक आउट कर दिया था. लिहाजा, राज्यसभा में इस बिल के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि कहीं एक बार यह उच्च सदन में न अटक जाए.

पिछली बार जब तीन तलाक बिल राज्यसभा में आया था तो इसे विस्तृत चर्चा के लिए सेलेक्ट कमेटी के पास भेज दिया गया था. हालांकि, इस विधेयक का कांग्रेस ने समर्थन किया था, लेकिन उसकी मांग थी कि बिल में कुछ अहम संशोधन किए जाएं. विपक्ष की मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ लोकसभा से बिल पास करा लिया. लेकिन अब भी कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर विपक्ष अड़ा हुआ है.

इसलिए जब यह विधेयक लोकसभा में आया तो कांग्रेस ने इसे असंवैधानिक बताते हुए वॉकआउट कर दिया. लेकिन सरकार की असल परेशानी एआईएडीएमके के वॉकआउट करने से बढ़ी है. क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कठिन परिस्थितियों एआईएडीएमके ने सरकार का साथ दिया है.

Wednesday, December 26, 2018

HUL ने किया 383 करोड़ का घपला, ऐसे हुआ आपको नुकसान

मल्‍टीनेशनल कंपनी यूनिलीवर की भारतीय इकाई हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) की वजह से आपको 383 करोड़ रुपये का फायदा नहीं मिल सका है. यह खुलासा गुड्स एंड सर्विसेज टैक्‍स (जीएसटी) के मुनाफाखोरी रोधक प्राधिकरण (NAA) ने किया है. प्राधिकरण के मुताबिक एचयूएल ने 383 करोड़ रुपये की कर कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं पहुंचाया है.

दरअसल, कई ऐसे प्रोडक्‍ट हैं जिन पर जीएसटी की दर 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी कर दी गई हैं लेकिन हिंदुस्तान यूनिलीवर ने अपने प्रोडक्‍ट्स के अधिकतम खुदरा मूल्य में कटौती नहीं की. कर कटौती की यह रकम करीब 383.35 करोड़ रुपये है. इसका मतलब ये हुआ कि 383.35 करोड़ की कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं मिला है.

जीएसटी नियमों के अनुसार, कंपनी को 50 फीसदी राशि यानी 191.68 करोड़ रुपये केंद्रीय उपभोक्ता कोष में जमा करना होगा. शेष राशि कंपनी को उन राज्यों के उपभोक्ता कोष में जमा करानी होगी, जहां कंपनी ने उत्पादों की बिक्री की थी.

बता दें कि 1 जुलाई 2017 को वन नेशन, वन टैक्‍स जीएसटी पूरे देश में लागू हुआ था. इस टैक्‍स प्रणाली के स्‍लैब 0, 5, 12, 18 और 28 फीसदी हैं. जीएसटी लागू होने के बाद काउंसिल ने लगातार टैक्‍स स्‍लैब में बदलावा किए हैं. ऐसे में कई बड़े प्रोडक्‍ट जिन पर 28 फीसदी का टैक्‍स लगता था उन्‍हें 5, 12 या 18 फीसदी के स्‍लैब में लाया गया.  वहीं सबसे उच्‍च 28 फीसदी का स्‍लैब है जिसमें लग्‍जरी प्रोडक्‍ट आते हैं.

जीएसटी के एक स्टैंडर्ड टैक्स स्लैब के संकेत

हाल ही में वित्‍तमंत्री अरुण जेटली ने देश में जीएसटी के एक स्टैंडर्ड टैक्स स्लैब के संकेत दिए थे. जेटली ने 'जीएसटी के 18 महीने' शीर्षक का ब्लॉग लिखकर कहा था कि भविष्य के रोडमैप के तौर पर 12% और 18% की 2 स्टैंडर्ड रेट की जगह एक सिंगल स्टैंडर्ड रेट को लागू करने की दिशा में काम किया जा सकता है. जेटली के इस संकेत का मतलब ये हुआ कि नया रेट दोनों यानी 12 फीसदी और 18 फीसदी के बीच का होगा.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में फैसला सुनाते हुए आधार कार्ड को संवैधानिक तो बताया लेकिन इसकी अनिवार्यता पर सवाल खड़े किए. कोर्ट के आदेश के बाद स्‍कूलों और अलग-अगल परीक्षाओं में आधार की अनिवार्यता को समाप्‍त कर दिया गया है. इसके अलावा मोबाइल नंबर लेने, बैंक खाता खुलवाने के लिए आधार कार्ड का होना अनिवार्य नहीं रह गया है. हालांकि आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड अभी भी जरूरी है.

गौरतलब है कि युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय के विरोध में 26 दिसंबर को हड़ताल का आह्वान किया है, यूएफबीयू शीर्ष नौ बैंक संघों की एक ईकाई है.

फिल्म में राजकुमार एक संघर्षरत गुजराती व्यवसायी के रूप में दिखेंगे और मौनी उनकी पत्नी के किरदार में दिखेंगी. गुजराती निर्देशक मिखिल मुसले की यह पहली बॉलीवुड फिल्म है. वर्ष 2016 की उनकी गुजराती थ्रिलर-फिल्म 'रॉन्ग साइड राजू' को सर्वश्रेष्ठ गुजराती फीचर फिल्म के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

बता दें राजकुमार राव के ल‍िए साल 2018 सफलता के नए आयाम लेकर आया है. उनकी कई फिल्मों ने बॉक्स ऑफ‍िस पर शानदार प्रदर्शन किया. इनमें न्यूटन, स्त्री जैसी फिल्में शामिल हैं. साल 2019 में राजकुमार राव सोनम कपूर के साथ फिल्म एक लड़की को देखा... में नजर आने वाले हैं.

Monday, December 17, 2018

कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 के सिख दंगों के मामले में उम्र क़ैद

34 साल बाद आए इस फ़ैसले में कोर्ट ने सज्जन कुमार को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने सज्जन कुमार पर पाँच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कोर्ट ने सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने को कहा है.

अप्रैल 2013 में दिल्ली की एक निचली अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली छावनी में पांच सिखों की हत्या के मामले में सज्जन कुमार को सभी आरोपों से बरी कर दिया था.

इसके अलावा, कैप्टन भागमल, पूर्व पार्षद बलवान यादव और गिरधारी लाल को भी उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक जस्टिस एस मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल ने इस मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर को पूरी कर ली थी और फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था.

दिल्ली हाईकोर्ट ने फ़ैसले में कहा, "1947 में विभाजन के दौरान नरसंहार हुआ था. 37 साल के बाद दिल्ली ऐसी ही एक घटना की गवाह बनी. अभियुक्तों ने राजनीतिक संरक्षण का फ़ायदा लिया और मुकदमों से भागते रहे."

पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट कर कहा है कि सिखों को निशाना बनाने और उनका संहार करने का कांग्रेस का षडयंत्र आखिरकार बेनकाब हो गया है.

साल 1984 में 31 अक्टूबर को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सुरक्षाकर्मियों ने हत्या कर दी थी और इसके बाद सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे.

यह मामला दिल्ली छावनी क्षेत्र में पांच सिखों की हत्या से जुड़ा था.

दिल्ली कैंट के राजनगर इलाके में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी.

शिकायतकर्ता और प्रत्यक्षदर्शी जगदीश कौर केहर सिंह की पत्नी और गुरप्रीत सिंह की मां थीं. रघुविंदर, नरेंदर और कुलदीप उनके और मामले के एक अन्य गवाह जगशेर सिंह के भाई थे.

जस्टिस जीटी नानावती आयोग की सिफ़ारिशों पर साल 2005 में सज्जन कुमार और अन्य अभियुक्तों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया था.

Thursday, December 13, 2018

सियासत का वो जादूगर जो तीसरी बार बनेगा राजस्थान का मुख्यमंत्री

राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम पर लंबी कश्मकश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पर भारी पड़े. एक बार फिर जब राज्य में कांग्रेस आलाकमान के समक्ष 2008 जैसी स्थिति खड़ी हो गई, तब पार्टी ने अपने जादूगर पर ही भरोसा जताया है जो सबको साथ लेकर चल सके.

दरअसल साल 2008 में जब कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े से 5 सीट दूर रह गई थी और मुख्यमंत्री के तौर पर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम आगे चल रहा था, तब भी अंत में पार्टी ने गहलोत पर ही भरोसा जताया था. हालांकि इस बार पार्टी आलाकमान को सामने निर्णय में थोड़ी कठिनाई हुई  क्योंकि 2008 के चुनाव में जोशी एक वोट से हार गए थे. इसके बरक्स इस बार प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट विधानसभा का चुनाव जीते हैं.

कैसे बने राहुल के राइट हैंड

राजस्थान की राजनीति में जातीय वर्चस्व को तोड़ते हुए शीर्ष पर पहुंचने वाले नेताओं में यदि किसी का नाम सबसे आगे आएगा है तो वो अशोक गहलोत हैं. सूबे के दो बार मुख्यमंत्री रहे गहलोत का परिवार माली समाज से आता है. इनका परिवार किसी जमाने में जादूगरी का करतब दिखाता था. गुजरात के प्रभारी के तौर पर उन्होंने वहां की युवा तिकड़ी हार्दिक-अल्पेश-जिग्नेश को कांग्रेस के साथ खड़ाकर पार्टी को जीत की दहलीज पर ला खड़ा किया. जिसके बाद बतौर संगठन महासचिव गहलोत पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में अध्यक्ष राहुल गांधी के राइट हैंड के तौर पर उभरे.

इंदिरा की पड़ी नजर, संजय ने दिलाई पहचान

अशोक गहलोत को 70 के दशक में कांग्रेस में शामिल होने का मौका मिला था, जब पू्र्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय पार्टी में संजय गांधी की चलती थी. जब संजय गांधी के करीबियों ने उन्हें अशोक गहलोत के बारे में बताया तो उन्होंने गहलोत को राजस्थान में पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई का अध्यक्ष बनाया. गहलोत को शुरुआती दिनों में संजय गांधी की मंडली के लोग 'गिली बिली' कहकर संबोधित करते थे.

कुछ लोगों का मानना है कि अशोक गहलोत पर सबसे पहले स्वयं इंदिरा गांधी की नजर पड़ी थी. जब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में विद्रोह के बाद पूर्वोत्तर में शरणार्थी संकट खड़ा हो गया था. गहलोत की उम्र उस वक्त 20 साल थी, और इंदिरा ने उन्हें राजनीति में आने का न्योता दिया. जिसके बाद गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के इंदौर सम्मेलन में हिस्सा लिया और यहीं उनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई.

युवा कांग्रेस के विस्तार का दौर जिसने कई कद्दावर नेता दिए

कांग्रेस के इंदौर सम्मेलन में दिवंगत नेता प्रियरंजन दासमुंशी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे. यह वो समय था जब इंदिरा और संजय गांधी युवा कांग्रेस को दक्षिण पंथी जनसंघ और उसके सहयोगी संगठन से मुकाबले के लिए तैयार करना चाहते थे. जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में यह काल युवा नेतृत्व के उभार का स्वर्णिम काल था. इस दौरान पार्टी को कई अहम नेता मिले जिसमें अशोक गहलोत , कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अंबिका सोनी, वायलार रवि, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद और बीके हरिप्रसाद शामिल हैं. यह सभी नेता आज के कांग्रेस में बड़ी हैसियत रखते हैं.

Monday, December 10, 2018

आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने कार्यकाल पूरा होने से 9 महीने पहले इस्तीफा दिया

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसकी वजह निजी बताई है। पिछले कुछ महीनों से सरकार और आरबीआई के बीच कई मुद्दों पर विवाद चल रहा था। सरकार ने आरबीआई एक्ट की धारा 7 का भी इस्तेमाल किया था। लेकिन, बाद में विवाद सुलझने की खबर आई। 19 नवंबर को आरबीआई की बोर्ड बैठक में विवाद के कुछ मुद्दों पर सहमति भी बन गई थी। इसके बाद यह आशंका खत्म हो गई कि उर्जित पटेल इस्तीफा देंगे। लेकिन, सोमवार को अचानक उन्होंने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उर्जित पटेल के कार्यकाल की तारीफ करते हुए कहा है कि उनके नेतृत्व में आरबीआई ने अच्छा काम किया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उर्जित पटेल को भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि उनके साथ काम का अनुभव अच्छा रहा।

उर्जित पटेल ने सितंबर 2016 में पद संभाला था

4 सितंबर 2016 को उर्जित पटेल आरबीआई गवर्नर का पद संभाला था। उनका कार्यकाल सितंबर 2019 तक था। लेकिन, उन्होंने 9 महीने पहले ही इस्तीफा दे दिया। पटेल ने कहा- मैं निजी कारणों की वजह से आरबीआई गवर्नर पद से इस्तीफा दे रहा हूं। यह तुरंत प्रभाव से लागू माना जाए। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के साथ करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं रिजर्व बैंक में अपने सभी साथियों और बोर्ड डायरेक्टर्स का शुक्रिया अदा करता हूं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

विवाद पहले से था, धारा 7 के चलते हुआ टकराव
सरकार ने सितंबर महीने में पहली बार आरबीआई एक्ट की धारा 7 का इस्तेमाल किया था। धारा 7 के तहत सरकार आरबीआई से सलाह-मशविरा कर सकती है और उसे निर्देश भी दे सकती है। सलाह-मशविरे के तौर पर सरकार ने तीन पत्र रिजर्व बैंक को भेजे थे। धारा 7 के तहत आरबीआई को निर्देश देने के अधिकार का आजाद भारत में आज तक कभी इस्तेमाल नहीं किया गया। लेकिन माना जा रहा था कि धारा 7 का एक हिस्सा प्रभावी करने की वजह से उर्जित पटेल कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं।

उर्जित पटेल के कार्यकाल के दौरान सरकार-आरबीआई के बीच विवाद के मुद्दे

आरबीआई ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) की रूपरेखा के तहत कुछ नियम तय किए थे। यही सरकार और आरबीआई गवर्नर के बीच विवाद का सबसे बड़ा मुद्दा था। रिजर्व बैंक ने 12 बैंकों को त्वरित कारवाई की श्रेणी में डाला। ये नया कर्ज नहीं दे सकते, नई ब्रांच नहीं खोल सकते और ना ही डिविडेंड दे सकते हैं।
सरकार पीसीए नियमों में ढील चाहती है ताकि कर्ज देना बढ़ सके। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा था कि बैंकों की बैलेंस शीट और ना बिगड़े, इसलिए रोक जरूरी है।

अंतर-मंत्रालय समिति ने अलग पेमेंट-सेटलमेंट रेगुलेटर की सिफारिश की। रिजर्व बैंक इसके खिलाफ था। उसका अभी भी यही कहना है कि यह आरबीआई के अधीन हो। इसका प्रमुख आरबीआई गवर्नर ही हो।
एनपीए और विल्फुल डिफॉल्टरों पर अंकुश लगाने के लिए आरबीआई ने 12 फरवरी को नियम बदले। कर्ज लौटाने में एक दिन की भी देरी हुई तो डिफॉल्ट मानकर रिजॉल्यूशन प्रक्रिया शुरू करनी पड़गी। सरकार ने इसमें ढील देने का आग्रह किया, लेकिन आरबीआई नहीं माना।

नीरव मोदी का पीएनबी फ्रॉड सामने आने के बाद सरकार ने रिजर्व बैंक की निगरानी की आलोचना की तो आरबीआई गवर्नर ने ज्यादा अधिकार मांगे ताकि सरकारी बैंकों के खिलाफ कारवाई की जा सके।
सरकार रिजर्व बैंक से ज्यादा डिविडेंड चाहती है ताकि अपना घाटा कम कर सके। आरबीआई का कहना है कि सरकार इसकी स्वायत्तता को कम कर रही है। अभी इसकी बैलेंस शीट मजबूत बनाने की जरूरत है।
राजन ने भी सरकार से विवाद के बाद छोड़ा था पद

दो साल में यह ऐसा दूसरा मौका है जब आरबीआई गवर्नर ने सरकार से विवाद के बाद पद छोड़ा है। इससे पहले रघुराम राजन ने जून 2016 में गवर्नर पद छोड़ने की घोषणा की थी। हालांकि, उन्होंने सितंबर 2016 में कार्यकाल पूरा होने पर पद छोड़ा था। मोदी सरकार और रघुराम राजन के बीच ब्याज दरों और राजन के बयानों को लेकर अनबन रही थी।

आरबीआई और सरकारों के बीच पुराने विवाद
साल 2008 से 2012 के दौरान यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम और तत्कालीन आरबीआई गर्वनर डी सुब्बाराव के बीच भी विवाद सामने आया थे। दोनों के बीच ब्याज दरों और कर्ज को लेकर मतभेद थे। साल 2004 से 2008 के दौरान पी चिदंबरम और तत्कालीन आरबीआई गवर्नर वाई वी रेड्डी के बीच विदेशी निवेशकों पर टैक्स, ब्याज दरों और निजी बैंकों में एफडीआई के मुद्दे को लेकर विवाद हुआ था।

Wednesday, December 5, 2018

कौन चाहता था अगस्ता डील में मिशेल ले गांधी परिवार का नाम?

अगस्ता-वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील में घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीम मंगलवार देर रात कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से भारत ले आई. ऐसे में दुबई में गिरफ्तारी से पहले वहां के अधिकारियों को मिशेल द्वारा दिए गए बयान में मिशेल ने कहा है कि मौजूदा सरकार द्वारा इस मामले में उनका नाम इसलिए लिया जा रहा है ताकि वो पूर्व की मनमोहन सरकार और गांधी परिवार के खिलाफ गवाही दें.

इंडिया टुडे के हाथ लगे कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स ने दुबई के अधिकारियों को दिए अपने बयान में कहा, "भारत में मैने पिछली सरकार के साथ काम किया था जिसका नेतृत्व डॉ. मनमोहन सिंह कर रहे थे और 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बदल गई थी. मुझे एक बार फिर आरोपी बनाया गया है क्योंकि मैंने पिछली सरकार के साथ रक्षा मंत्रालय को हेलिकॉप्टर सप्लाई करने में शामिल था. मैं तीन साल पहले भारत गया था."

दुबई के अधिकारियों द्वारा डील में 70 मिलियन यूरो की घूस के सवाल पर क्रिश्चियन मिशेल ने अपने जवाब में कहा, "मैं अपने पहले के बयान पर कायम हूं. जिसमें मैंने कहा था कि मैंने पिछली मनमोहन सिंह सरकार के साथ काम किया था और 2014 में यह सरकार बदल गई जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. पिछली सरकार के खिलाफ गवाही देने के लिए दबाव डालने के उद्देश्य से मेरा नाम इस केस में डालने की कोशिश हो रही है." मिशेल ने कहा, "इस डील में मेरी तरफ से किसी भी तरह घूस और धोखाधड़ी नहीं की गई और जब विमान की उड़ान की क्षमता 6000 मीटर से घटाकर 4000 मीटर की गई तब मैं कंपनी की भारतीय शाखा में काम नहीं करता था. बल्कि कंपनी की यूके की ब्रांच में काम करता था."

मिशेल ने अपने बयान में कहा कि वे इस मामले में सिर्फ तीन व्यक्ति को जानते हैं, जिमें गुइदो हाश्के और फिनमेकानिका के पूर्व प्रमुख गुसेप ओर्सी इतालवी नागरिक हैं, जबकि जूली त्यागी भारतीय नागरिक है.

क्या है मामला?

गौरतलब है कि 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलि‍कॉप्टर खरीदने के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड और भारत सरकार के बीच करार हुआ था. जनवरी, 2014 में भारत सरकार ने 3600 करोड़ रुपये के करार को रद्द कर दिया. आरोप था कि इसमें 360 करोड़ रुपये का कमिशन लिया गया.

इसके बाद भारतीय वायुसेना को दिए जाने वाले 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की सप्लाई के करार पर सरकार ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी थी. जिस वक्त यह आदेश जारी किया गया, भारत 30 फीसदी भुगतान कर चुका था और बाकी तीन अन्य हेलिकॉप्टरों के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी.

यह मामला इटली की अदालत में चला जिसमें ये बातें उजागर हुईं कि 53 करोड़ डॉलर का ठेका पाने के लिए कंपनी ने भारतीय अधिकारियों को 100-125 करोड़ रुपये तक की रिश्वत दी थी. इतालवी कोर्ट के फैसले में पूर्व आईएएफ चीफ एस पी त्यागी का भी नाम सामने आया था.

Monday, November 19, 2018

सीक्रेट रिपोर्ट लीक होने पर भड़के CJI, 29 तक टाली सुनवाई

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दो बार सुनवाई हुई. सुबह सबसे पहले कोर्ट लगते ही इस केस की सुनवाई शुरू हुई और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को कुछ दस्तावेज देते हुए पूछा कि जो रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी गई, वो पहले ही सार्वजनिक कैसे हो गई.

कोर्ट ने नरीमन से ये पूछते हुए सख्त लहजे में नाराजगी जाहिर की और सुनवाई 29 नवंबर तक टालने का आदेश दिया. फली नरीमन ने भी इस पर अफसोस जताया और कहा कि उन्हें खुद इस बात की जानकारी नहीं है कि ये रिपोर्ट कैसे बाहर आई.

इसके बाद फली नरीमन ने कोर्ट से फिर अपील की और गोपनीय जवाब मीडिया रिपोर्ट में लीक होने पर सफाई दी. वरिष्ठ वकील नरीमन ने कोर्ट को बताया कि यह रिपोर्ट 17 नवंबर को छपी थी, जबकि कोर्ट ने आलोक वर्मा को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 16 नवंबर को आदेश दिया था. हालांकि, चीफ जस्टिस उनके इस जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए और उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सर्वोच्च गोपनीयता बरती जानी चाहिए.

भावुक हुए नरीमन

कोर्ट ने सख्त लहजे में नरीमन को सीवीसी और मीडिया रिपोर्ट की कॉपी लौटा दी. कोर्ट ने कहा कि संस्थानों का सम्मान और उनकी मर्यादा बनी रहनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने यहां तक कहा कि मैं आपको कोई कागज दूं और मेरा स्टाफ बीच में ही उड़ा ले, ये क्या है. इसके अलावा कोर्ट ने सोमवार को दिए गए जवाब का लिफाफा भी नरीमन को लौटा दिया.

वरिष्ठ वकील फली नरीमन भी यहां भावकु दिखे और उन्होंने कहा, 'मैं पिछली सदी से कोर्ट में हूं. मुझे कोर्ट में 67 साल हो गए हैं, लेकिन ऐसी घटना कभी नहीं हुई. इतना अपसेट कभी नहीं हुआ.'

किस रिपोर्ट पर हुआ विवाद

दरअसल, जिस मीडिया रिपोर्ट का कोर्ट में हवाला दिया गया है, वो एक न्यूज वेबसाइट पर 17 नवंबर को छपी थी. इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सीवीसी को जो जवाब भेजे हैं, उसमें मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सच का पता लगाने के लिए सीवीसी को जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद सीवीसी ने आलोक वर्मा को जवाब देने के लिए कई सारे सवालों की एक सूची भेजी थी. वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उसने आलोक वर्मा के जवाबों की वह कॉपी देखी हैं, जो उन्होंने सीवीसी को भेजी हैं.

16 नवंबर को दिया था ये आदेश

आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप की जांच रिपोर्ट सीवीसी ने 12 नवंबर को कोर्ट में सौंपी थी. इसके बाद 16 नवंबर सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा से कहा था कि वह सीवीसी रिपोर्ट पर 19 नवंबर तक अपना जवाब दें. कोर्ट ने आलोक वर्मा से सीलबंद लिफाफे में जवाब मांगा था.

मंगलवार को जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो चीफ जस्टिस ने आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन से पूछा कि ये जवाब बाहर कैसे आए. कोर्ट ने इस पर नाराजगी भी दिखाई. चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में यहां तक कह दिया कि आपमें से कोई भी सुनवाई के लायक नहीं है. चीफ जस्टिस ने सख्त टिप्पणी करते हुए 29 नवंबर तक सुनवाई टाल दी. इसके बाद एक बार फिर फली नरीमन ने कोर्ट से वक्त मांगा और मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए बताया कि यह रिपोर्ट 17 नवंबर को छपी थी, जबकि कोर्ट का आदेश 16 नवंबर को आया था.

मंगलवार सुबह कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को कुछ दस्तावेज दिए और उन्हें बतौर वरिष्ठ वकील पढ़ने के लिए कहा. कोर्ट ने फली नरीमन से पूछा कि जो बातें आलोक वर्मा के जवाब में हैं, वही चीजें बाहर कैसे आईं. इस पर फली नरीमन ने कोर्ट के सामने बताया कि उन्हें खुद इसकी जानकारी नहीं है. फली नरीमन ने चीफ जस्टिस के सामने कहा कि रिपोर्ट का लीक होना गलत है और वह खुद इससे परेशान हूं.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली कुछ सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा था कि सीवीसी की जांच रिपोर्ट और उस पर आलोक वर्मा का जवाब सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा जाएगा. यानी कोर्ट ने इस मामले में बहुत की एहतियात बरतने के आदेश दिए थे. बावजूद इसके आलोक वर्मा के जवाब का हवाला देते हुए मीडिया में रिपोर्ट छापी गई.

बता दें कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाद दोनों शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था, और मामले की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग कर रहा था. बीते 12 नवंबर को सीवीसी ने कोर्ट को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी, जिस पर कोर्ट ने आलोक वर्मा का जवाब मांगा था. आलोक वर्मा ने सोमवार (20 नवंबर) को अपना जवाब दाखिल किया.

Sunday, November 18, 2018

प्रकृति बचाने को लड़ती अकेली औरत

इंडोनेशिया के सुमात्रा में स्थित लीज़र इकोसिस्टम धरती की एकमात्र जगह है जहां वनमानुष, गैंडे, हाथी और बाघ एक साथ रहते हैं. लेकिन आसपास विकसित हो रहे उद्योगों के चलते अब इस पर ख़तरे के बादल मंडराने लगे हैं.

इस इकोसिस्टम को बचाने के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता फ़रविज़ा फ़रहान अकेले संघर्ष कर रही हैं. साल 2012 में उनके एनजीओ यायासन हाका ने तेल बनाने वाली एक कंपनी के ख़िलाफ़ मुकदमा किया था. उन्होंने आरोप लगाए थे कि वो कंपनी गैरक़ानूनी परमिट के ज़रिए जंगलों को काट रही है.

फ़रविज़ा का कहना है कि वन्यजीवों के लिए कोई आवाज़ नहीं उठाता इसलिए उन्होंने अकेले ही संघर्ष करने के बारे में सोचा.

जंगलों का एहसास
जंगल और प्रकृति के प्रति अपने प्रेम को फ़रविज़ा कुछ यूं बयां करती हैं, ''ज़रा सोचिए कि आप एक बड़े से पेड़ की छांव में खड़े हैं और आप ऊपर देखते हैं तो आपको हॉर्नबिल की आवाज़ सुनाई देती है. इसके बाद आप आसपास देखते हैं तो आपको गिब्बन (बंदरों की एक प्रजाति) की आवाज़ कहीं दूर से सुनाई पड़ती है.

''आप देखते हैं कि एक मादा वानर अपने बच्चे को सीने से चिपकाए पेड़ की शाखाओं पर झूल रही है. और कुछ ही देर में आप पाते हो कि लंगूरों का एक झुंड आपकी तरफ दांत दिखाते हुए चीख रहा है.''

आपको ये भी रोचक लगेगा
फिर पाकिस्तान पर क्यों भड़के डोनल्ड ट्रंप?
क्या 'आदिवासियों के हिन्दूकरण' से जीत रही बीजेपी?
गुजरात दंगे: 'बेदाग़ मोदी' बचेंगे ज़किया के 'सुप्रीम प्रहार' से?
सिर पर तलवार के वार से मारी गई थीं रानी लक्ष्मीबाई
''इन सबके बीच कुछ दूरी से आपको मशीनों की आवाज़ भी सुनाई पड़ती है, आप उस आवाज़ को अपने करीब आता हुआ महसूस करते हो. जैसे-जैसे वो आवाज़ आपके और नज़दीक आने लगती है तो आप कोशिश करते हो कि कुछ भी करके इसे बंद कर दें और आस पास जो इतनी प्यारी आवाज़ें बह रही हैं उन्हें बचा लें.''

''आप जैसे-जैसे जंगल में बढ़ते जाते हो उसे बचाने का ख्याल उतना मज़बूत होता जाता है.''

कैसे हुआ प्रकृति से प्यार?
फ़रविज़ा फ़रहान को प्रकृति से इतना ज़्यादा प्रेम आखिर कैसे हो गया. इसके जवाब में कहती हैं, '' मैंने बीबीसी ब्लू प्लैनेट के कई कार्यक्रम देखे और इन्हें देखने के बाद मुझे इस प्रकृति से प्यार होने लगा. मैं समुद्र और उसमें पाए जाने वाले कोरल से प्यार करने लगी. मैंने बचपन में ही तय कर लिया कि मैं अपनी बाकी ज़िंदगी प्रकृति के लिए ही काम करूंगी.''

''इसके बाद मैंने मरीन बायोलॉजिस्ट की पढ़ाई की. मैं समुद्र से प्यार करती थी लेकिन मैंने देखा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का हाल बेहाल था. उनकी बुरी हालत देखकर मैं बहुत नाराज़ हुई.''

''उस वक़्त मैंने भोलेपन में सोचा कि मैं इस प्रकृति को बचाऊंगी. मैंने जंगलों को बचाने के बारे में सोचा कि इनके चारों ओर तार लगा दूंगी और ये बच जाएंगे.''

Friday, November 16, 2018

राजनाथ सिंह ने की सीएम पलानीस्वामी से चर्चा

 गाजा तूफान ने तमिलनाडु (Cyclone Gaja in Tamil Nadu) में भारी तबाही मचाई है। गुरुवार देर रात यह नागपट्टिनम जिले में तट से टकराया। इसके बाद यहां 100 से 120 किलोमीटर की रफ्तार से तूफानी हवाएं चलीं और भारी बारिश हुई। न्यूज एजेंसी ने मृतकों की संख्या 23 बताई है। जबकि सीएम पलानीस्वामी ने कहा कि तूफान सेे 11 लोगों की मौत हुई और कई घायल हैं। मृतकों के परिवार को 10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख जबकि मामूली रूप से जख्मी हुए लोगों को 25 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। इस बीच, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी पलानीस्वामी से बातचीत की और उन्हें केंद्र की तरफ से पूरी मदद का भरोसा दिलाया।

तूफान से पहले बारिश
मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में गाजा तूफान का असर ज्यादा रह सकता है। तमिलनाडु के कुडलोर और पामबन जिलों में भारी से बहुत भारी हो सकती है। करीब 30 हजार राहत कर्मियों को किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रखा गया। प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार के बीच बातचीत के बाद कुछ दूसरे उपाय भी किए गए। पुड्डुचेरी और कराईकल में सभी शिक्षण संस्थान गुरुवार को बंद रखे गए।

फिशिंग पर सख्ती से रोक
पिछले महीने आए तितली तूफान के दौरान केरल के 6 मछुआरे समुद्र में फंस गए थे। बाद में इन्हें कोस्ट गार्ड ने एक स्पेशल ऑपरेशन के बाद सही सलामत निकाल लिया था। इस घटना से सबक लेते हुए मौसम विभाग ने तमिलनाडु, पुड्डुचेरी और आंध्र प्रदेश में 14 और 15 नवंबर को किसी भी मछुआरे के समुद्र में जाने पर सख्ती से रोक लगा दी थी। कोस्ट गार्ड की स्पेशल टीमों ने भी समुद्र की हर हलचल पर नजर रखी।

भारत के खिलाफ ऑस्ट्रॅलियाई टीम में स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर का न होना, टीम इंडिया में विराट कोहली और रोहित शर्मा के नहीं होना जैसा है। भारत के खिलाफ सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को इन दोनों की कमी खलेगी। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का ऐसा ही मानना है। भारत को ऑस्ट्रेलिया में टी-20, टेस्ट और वनडे सीरीज खेलनी है। ऑस्ट्रेलियाई टीम इस सीरीज में स्मिथ और वार्नर के साथ-साथ कैमरन बैनक्रॉफ्ट के बिना उतर सकती है। तीनों पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में गेंद से छेड़छाड़ करने के कारण प्रतिबंध लगाया गया है।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स एसोसिएशन की प्रतिबंध हटाने की मांग
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स एसोसिएशन (एसीए) ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) से इन पर से प्रतिबंध हटाने की मांग की है। हालांकि, ऐसे संकेत मिले हैं कि सीए जल्दी प्रतिबंध हटाने के लिए तैयार नहीं है। स्मिथ और वॉर्नर पर साल भर का और कैमरून पर नौ महीने का प्रतिबंध है।

गांगुली ने बुधवार को यहां एक कार्यक्रम से इतर कहा, "यह बड़ी बात है। यह इसी तरह है जैसे भारतीय टीम बिना रोहित शर्मा और विराट कोहली के जाए। भारत के गेंदबाजी आक्रमण को देखते हुए यह उसका ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतने का सुनहरा मौका है।"

गांगुली ने कहा, "भारतीय क्रिकेट के लिए यह बड़ा पल है। भारत की यह टीम अच्छी है और इसका गेंदबाजी आक्रमण शानदार है। मैंने इंग्लैंड में देखा था कि भारत के गेंदबाजों ने हर मैच में 20 विकेट लिए थे।"

पूर्व कप्तान ने कहा, "हालांकि, आपको ध्यान रखना होगा कि ऑस्ट्रेलिया अपने घर में बिल्कुल अलग टीम होती है। कई लोगों का लगता है कि वह इस समय कमजोर है लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता।"

Tuesday, November 6, 2018

बुरका वाली सिंगल मां चला रही थी पोंजी स्कीम, 500 करोड़ की धोखाधड़ी में अरेस्ट

कभी मां के साथ सब्जी बेचने वाली महिला देखते ही देखते करोड़ों की टर्नओवर वाली 17 कंपनियों की मालकिन हो गई। कुछ ही साल में बिजनस मैनेजमेंट की डिग्री लेकर कर्नाटक में राजनीतिक दल भी बना डाला। यह सिलसिला तब रुका जब मुंबई पुलिस ने निवेशकों के साथ 500 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में नौहरा शेख को गिरफ्तार किया।

अपनी मां के साथ तिरुपति के दक्षिणी हिस्से में फेरी लगाकर सब्जियां बेचने वाली एक महिला देखते ही देखते करोड़पति बन गई। इसकी वजह बने उसकी कंपनियों में निवेश करने वाले लोग, जिनकी बदौलत 45 साल की उम्र में बुरका पहनने वाली सिंगल मदर 17 कंपनियों की मालकिन बन गई और उनका 1000 करोड़ का टर्नओवर है। दो लाख से ज्यादा निवेशकों के साथ नौहेरा शेख नाम की महिला की पोंजी स्कीम चल रही थी।

देखते-देखते नौहेरा शेख ने अपना कारोबार तैयार कर लिया और बिजनस मैनेजमेंट में डिग्री लेने के बाद न सिर्फ लड़कियों के लिए एक मदरसा खोला, बल्कि कर्नाटक से चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक पार्टी भी बना डाली। नौहेरा शेख जितनी तेजी से सफलता की ओर बढ़ी, उतनी ही तेजी से उनके पतन की शुरुआत भी हो गई हैपोंजी स्कीम के चलते सात साल में इतना पैसा जुटाने वाली नौहेरा पर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगा है।

500 करोड़ की धोखाधड़ी की आरोपी
पोंजी स्कीम में 36 से 42 प्रतिशत के रिटर्न का वादा करने वाली नौहेरा की कंपनियों के एजेंट्स ने महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में खूब निवेशक जुटाए। यहीं से गड़बड़ की शुरुआत भी हो गई और हवाला स्कैम भी सामने आया। मई 2018 तक शेख ने फंड्स का हेरफेर शुरू किया और एक के बाद एक पुलिस शिकायतों में उनका नाम आया। आज शेख करीब 500 करोड़ की धोखाधड़ी की आरोपी है। 

मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर नौहेरा शेख से पूछताछ की है, जिसके बाद उसे हैदराबाद पुलिस को सौंप दिया गया। नौहेरा को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने निवेशक शाने इलाही की शिकायत के आधार पर 25 अक्टूबर को गिरफ्तार किया। बीते दिनों इंटेलिजेंस एजेंसीज भी मुंबई पुलिस से इस बारे में पूछताछ करने पहुंचीं। एक जांच अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर निवेशक मुस्लिम समुदाय के हैं जिनसे इंटरेस्ट फ्री हलाल बिजनस का वादा किया गया है। 

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में तेज आवाज में संगीत बजाने के कारण एक ट्रैक्टर चालक की कथित तौर पर पीट-पीटकर जान लेने पर दो पुलिस कांस्टेबलों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी के मुताबिक, प्रदीप कुटे (24) रविवार शाम को माधा से अपना ट्रैक्टर लेकर चीनी मिल जा रहा था। मानेगांव पुलिस चौकी के पास उसे कांस्टेबल दशरथ कुंभार और दीपक क्षीरसागर ने रोका। उन्होंने कुटे को तेज आवाज में संगीत बजाने के लिए डाँटा और फिर उसकी पिटाई की, जिसके बाद वह अचेत होकर गिर गया।

उन्होंने बताया कि दोनों कांस्टेबल कुटे को एक नजदीक अस्पताल में ले गये लेकिन डॉक्टरों ने उसे वहां पहुंचने के साथ ही मृत घोषित कर दिया। माधा पुलिस ने शुरू में आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया लेकिन उस्मानाबाद के भूम तहसील से आये कुटे के परिजनों ने पुलिस थाने के सामने विरोध प्रदर्शन किया। वे लोग प्रदर्शन में कुटे के शव को भी लाए थे। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले में हस्तक्षेप किया और सोमवार को कुंभल और क्षीरसागर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि कुटे की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारण का पत लग सकेगा।

Friday, November 2, 2018

एम जे अकबर ने मेरा रेप किया था', US में बसी भारतीय पत्रकार का आरोप

पल्लवी गोगोई ने बताया कि पुलिस में शिकायत करने के बजाय मुझे ज्यादा जिल्लत महसूस हो रही थी. मैंने इस बारे में किसी को भी नहीं बताया, क्या कोई मेरी बात पर भरोसा करता? मैंने खुद को ही दोषी मान लिया.

कैंपेन के तहत 20 से ज्यादा महिलाओं की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद अब बीजेपी सांसद एम जे अकबर पर एक महिला पत्रकार ने रेप का आरोप लगाया है. अमेरिका में रहने वाली पत्रकार पल्लवी गोगोई में एशियन एज में काम करने के दौरान अपने साथ रेप की घटना का जिक्र किया है, जब एम जे अकबर उनके बॉस हुआ करते थे.

वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित पल्लवी गोगोई के बयान के मुताबिक जयपुर के एक होटल में अकबर खबर पर चर्चा के लिए पल्लवी के साथ थे. जहां होटल के कमरे में उन्होंने पल्लवी का रेप किया. दोनों के बीच काफी हाथपाई हुई लेकिन पल्लवी लिखती हैं, 'मैंने काफी संघर्ष किया, लेकिन वो शारीरिक तौर पर मुझसे ज्यादा ताकतवर थे. उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ दिए और मेरा रेप किया.'

पल्लवी गोगोई ने बताया कि पुलिस में शिकायत करने के बजाय मुझे ज्यादा जिल्लत महसूस हो रही थी. मैंने इस बारे में किसी को भी नहीं बताया, क्या कोई मेरी बात पर भरोसा करता? मैंने खुद को ही दोषी मान लिया, मैं होटल के कमरे में गई ही क्यों थी?

इससे पहले साल 1994 की एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए पल्लवी ने कहा, 'मैं उनके ऑफिस गई थी और कमरे का दरवाजा बंद था. मैंने उन्हें ओ-पेड पेज दिखाया और बताया कि कैसे इसकी हेडलाइन्स और रोचक बनाई हैं. अकबर ने मेरी कोशिश की तारीफ की और तुरंत मुझे किस करने के लिए लपके. इसके बाद मेरे चेहरा शर्म से लाल हो गया, मैंने अपनी एक सहयोगी को इस पूरे घटना के बारे में बताया.'

पल्लवी ने कहा कि अब से 2 हफ्ते पहले अकबर विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके हैं. उन्होंने अन्य महिला पत्रकारों की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया और एक शिकायतकर्ता के खिलाफ कोर्ट चले गए. इससे मुझे हैरानी नहीं हुई, वो अपने 'सच' को गढ़ने में लगे हैं. मुझे आज बोलकर कुछ हासिल होने वाला नहीं है. लेकिन ये हृदय विदारक था और करीबी लोग मेरा दर्द समझेंगे.

पल्लवी ने बताया कि वो आज उन महिलाओं के समर्थन के लिए लिख रही हैं जिन्होंने अपने सच को बयां किया. साथ ही अपनी जवान बेटी और बेटे के लिए, ताकि जब कोई उन्हें शिकार बनाए तो वो लड़े सकें और कभी विक्टिम न बने. वो जान सकें कि 23 साल पहले मेरे साथ क्या हुआ था, मैं ऐसे बुरे वक्त से होकर गुजरीं हूं और अब मैं उससे आगे बढ़ रही हूं.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर कई अखबारों के संपादक रहे हैं. उनके ऊपर अब तक कई महिला पत्रकारों ने कैंपेन के तहत आरोप लगाए हैं. अकबर पर पहला आरोप प्रिया रमानी नाम की वरिष्ठ पत्रकार ने लगाया था जिसमें उन्होंने एक होटल के कमरे में इंटरव्यू के दौरान की अपनी कहानी बयां की थी.

रमानी के आरोपों के बाद अकबर के खिलाफ आरोपों की बाढ़ आ गई और एक के बाद एक कई अन्य महिला पत्रकारों ने उन पर संगीन आरोप लगा रही हैं. एक महिला पत्रकार के खिलाफ अकबर ने कोर्ट का रुख किया, जहां इस मामले की सुनवाई चल रही है. हालांकि दबाव के बीच एम जे अकबर कुछ दिन पहले विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके हैं.