Monday, January 14, 2019

3 साल बाद 1200 पन्नों की चार्जशीट दायर, कन्हैया-खालिद समेत 10 पर देशद्रोह का आरोप

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में 2016 में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में पुलिस ने 1200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। आरोप है कि आतंकी अफजल गुरु की याद में हुए इस प्रोग्राम में देश विरोधी नारे लगाए गए थे। पुलिस ने जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य समेत 7 कश्मीरी छात्रों को आरोपी बनाया। कन्हैया कुमार ने कहा कि मैं 3 साल बाद चार्जशीट दाखिल किए जाने पर मोदीजी और पुलिस को धन्यवाद देना चाहता हूं। इससे साफ है कि यह राजनीति से प्रेरित कदम है।

चार्जशीट में सीपीआई नेता डी राजा की बेटी अपराजिता राजा, पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष शहला रशीद समेत 36 अन्य नाम हैं। इनका नाम चार्जशीट के कॉलम 12 में है, क्योंकि इनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है, लेकिन इन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। पटियाला कोर्ट में दायर चार्जशीट पर मंगलवार को सुनवाई होगी।

न्यायपालिका पर यकीन- कन्हैया
कन्हैया कुमार ने कहा, "मैं मोदीजी और पुलिस को धन्यवाद कहना चाहता हूं। 3 साल बाद चुनाव से ठीक पहले चार्जशीट फाइल किया जाना साफतौर पर दिखाता है कि यह राजनीति से प्रेरित है। मैं अपने देश की न्यायपालिका पर विश्वास करता हूं।''

ये राजनीति से प्रेरित आरोप- डी राजा
सीपीआई नेता डी राजा ने कहा, ''ये राजनीति से प्रेरित आरोप हैं, कोई भी एआईएसएफ पर देश के विरोध में कोई काम करने का आरोप नहीं लगा सकता। जांच के लिए कुछ भी नहीं है, हमारे छात्र इस तरह की किसी भी गतिविधियों में शामिल नहीं हैं।''

संसद हमले के गुनहगार अफजल की याद में हुआ था प्रोग्राम
आरोप है कि जेएनयू में 9 फरवरी को लेफ्ट स्टूडेंट्स के ग्रुप्स ने संसद पर हमले के गुनहगार अफजल गुरु और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के को-फाउंडर मकबूल भट की याद में एक प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया था। इसे कल्चरल इवेंट का नाम दिया गया था। शाम 5 बजे उसी प्रोग्राम में कुछ लोगों ने देशविरोधी नारेबाजी की थी। 10 फरवरी को नारेबाजी का वीडियो सामने आया। दिल्ली पुलिस ने 12 फरवरी को नारेबाजी के आरोप में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था। इस मामले में कन्हैया, खालिद और भट्टाचार्य को गिरफ्तार भी किया गया था। बाद में इन्हें जमानत मिल गई थी।

कुल मिलाकर इस रहस्यलोक के चक्रव्यूह से दो ही लोग महफूज़ थे. एक वो जिसने इसे बनाया था. यानी बाबा गुरमीत राम रहीम. और दूसरी वो जो इसमें लोगों को फंसाती थी. यानी बाबा की हनीप्रीत. बाकी तमाम मोहरे थे. जिन्हें वो उंगलियों पर नचाते थे और वो इशारों पर नाचते थे. बाबा के रहस्यलोक का ये तो सिर्फ एक पहलू है. रंगीनमिज़ाजी के अलावा भी बाबा के कुकर्मों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. जिस बाबा को एक जोड़ी कपड़े में उम्र गुज़ार देनी चाहिए उसकी रंग बिरंगी पोशाकें. सोने सा महल और महंगी महंगी गाडियां ये बिना बोले ही बता देंगी कि इस बाबा की नियत में खोट है.

बाबा का रहस्यलोक सिर्फ रंगीनियों और ऐशो-आराम से ही नहीं भरा हुआ था बल्कि उनके सेवादार बताते हैं कि इसकी दरो-दीवार में बेबस साध्वियों की चीखें दबी हुई हैं. इसे बेगुनाहों के खूनों से सिंचा गया है. मगर बाबा के रहस्यलोक में उसी का राज था. वही खुदा था. मगर वो भी जानता था कि जिस रास्ते पर वो चल रहा है. एक ना एक दिन उसका अंजाम बुरा होने वाला है और वही हुआ. दो बलात्कार के लिए बीस साल जेल पहली किश्त में मिली और अब कत्ल के लिए अगली किश्त का इंतजार है.

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