Tuesday, December 10, 2019

बीएचयू: आख़िरकार फ़िरोज़ ख़ान को जाना ही पड़ा

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में कई दिनों से चल रहे विवाद के बाद आख़िरकार संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में सहायक प्रोफ़ेसर के तौर पर नियुक्त फ़िरोज़ ख़ान को इस्तीफ़ा देना पड़ा. हालांकि बताया जा रहा है कि उनकी नियुक्ति आयुर्वेद विभाग में ही उसी पद पर हो चुकी है लेकिन उस पद पर उन्होंने कार्यभार कर लिया है या नहीं, विश्वविद्यालय से इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है.

संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के प्रमुख प्रोफ़ेसर कौशलेंद्र पांडेय ने फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति का विरोध करते हुए धरने पर बैठे छात्रों को इस बारे में जानकारी दी. प्रोफ़ेसर पांडेय ने फ़िरोज़ ख़ान के इस्तीफ़े की ख़बर को धरनारत छात्रों को पढ़कर सुनाया.

उन्होंने कहा, "आपकी भावनाओं एवं अनुरोध के अनुरूप आप सभी को सूचित करना है कि संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के साहित्य विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर नियुक्त डॉक्टर फ़िरोज़ ख़ान ने दिनांक 9 दिसंबर 2019 को असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, साहित्य विभाग से अपना इस्तीफ़ा दे दिया है. अत: सभी छात्रों से अनुरोध है कि आप अध्ययन-अध्यापन एवं परीक्षा में संलग्न हो जाएं."

बताया जा रहा है कि डॉक्टर फ़िरोज़ ख़ान ने सोमवार देर शाम ही संकाय के प्राध्यापकों की उपस्थिति में इस्तीफ़ा सौंप दिया था. हालांकि इसकी जानकारी लोगों को काफ़ी देर बाद दी गई. इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन अथवा फ़िरोज़ ख़ान से भी कोई बात नहीं हो सकी है. लेकिन संकाय अध्यक्ष प्रोफ़ेसर पांडेय ने बताया कि डॉक्टर फ़िरोज़ ख़ान ने इस्तीफ़ा दे दिया है और उसे स्वीकार भी कर लिया जाएगा.

संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के छात्र मुस्लिम शिक्षक की नियुक्ति पर सवाल उठा रहे थे और विरोध कर रहे थे. छात्र क़रीब एक महीने से धरना दे रहे थे और उन्होंने सेमेस्टर परीक्षाओं का भी बहिष्कार कर रखा था जिसकी वजह से सेमेस्टर परीक्षाएं दो बार टालनी पड़ गईं. मंगलवार से सेमेस्टर परीक्षाएं होनी थीं लेकिन छात्रों के धरने की वजह सी उन्हें अगली सूचना तक दूसरी बार टाला गया. फ़िरोज़ ख़ान के इस्तीफ़े के बाद अब छात्रों का धरना भी समाप्त हो गया है.

हालांकि बताया ये जा रहा है कि डॉक्टर फ़िरोज़ ख़ान ने यहां से इस्तीफ़ा देने के बाद कला संकाय में संस्कृत विभाग में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया है. हालांकि उसकी पुष्टि न तो विश्वविद्यालय प्रशासन और न ही डॉक्टर फ़िरोज़ खान ने की है. लेकिन पिछले दिनों उनकी कला संकाय और आयुर्वेद संकाय दोनों ही जगह संस्कृत विभाग में नियुक्ति हुई थी.

बीएचयू में संस्कृत की पढ़ाई तीन संकायों- कला संकाय, आयुर्वेद संकाय और संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में होती है. पहले डॉक्टर फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में हुई थी जिसमें धर्म शास्त्र पढ़ाया जाता है. छात्रों का कहना था कि हिन्दू धर्म के बारे में कोई मुस्लिम व्यक्ति कैसे पढ़ा सकता है.

फ़िरोज़ ख़ान के इस्तीफ़े की ख़बर के बाद छात्रों ने धरना समाप्त कर दिया है. धरना दे रहे छात्रों में से एक चक्रपाणि ओझा का कहना था, "हमें न तो फ़िरोज़ ख़ान से कोई दिक़्क़त थी और न ही उनके संस्कृत पढाने से. बल्कि दिक़्क़त इस बात से थी कि उनकी नियुक्ति उस विभाग में कैसे हुई जिसमें कोई ग़ैर हिन्दू व्यक्ति नियुक्त ही नहीं हो सकता है."

हालांकि पहले विश्वविद्यालय प्रशासन ने साफ़तौर पर कह दिया था कि फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति नियमों के तहत होगी और किसी भी क़ीमत पर उनकी नियुक्ति को रद्द नहीं किया जाएगा लेकिन छात्रों के लगातार विरोध और मामले को बढ़ता देखकर विश्वविद्यालय प्रशासन को अपने पैर वापस खींचने पड़े. पिछले दिनों जब आयुर्वेद विभाग में वैकेंसी निकली और उसमें फ़िरोज़ ख़ान ने आवेदन किया, तभी ये साफ़ हो गया था कि इस पद पर फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति ज़रूर होगी.