Monday, November 19, 2018

सीक्रेट रिपोर्ट लीक होने पर भड़के CJI, 29 तक टाली सुनवाई

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दो बार सुनवाई हुई. सुबह सबसे पहले कोर्ट लगते ही इस केस की सुनवाई शुरू हुई और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को कुछ दस्तावेज देते हुए पूछा कि जो रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी गई, वो पहले ही सार्वजनिक कैसे हो गई.

कोर्ट ने नरीमन से ये पूछते हुए सख्त लहजे में नाराजगी जाहिर की और सुनवाई 29 नवंबर तक टालने का आदेश दिया. फली नरीमन ने भी इस पर अफसोस जताया और कहा कि उन्हें खुद इस बात की जानकारी नहीं है कि ये रिपोर्ट कैसे बाहर आई.

इसके बाद फली नरीमन ने कोर्ट से फिर अपील की और गोपनीय जवाब मीडिया रिपोर्ट में लीक होने पर सफाई दी. वरिष्ठ वकील नरीमन ने कोर्ट को बताया कि यह रिपोर्ट 17 नवंबर को छपी थी, जबकि कोर्ट ने आलोक वर्मा को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 16 नवंबर को आदेश दिया था. हालांकि, चीफ जस्टिस उनके इस जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए और उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सर्वोच्च गोपनीयता बरती जानी चाहिए.

भावुक हुए नरीमन

कोर्ट ने सख्त लहजे में नरीमन को सीवीसी और मीडिया रिपोर्ट की कॉपी लौटा दी. कोर्ट ने कहा कि संस्थानों का सम्मान और उनकी मर्यादा बनी रहनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने यहां तक कहा कि मैं आपको कोई कागज दूं और मेरा स्टाफ बीच में ही उड़ा ले, ये क्या है. इसके अलावा कोर्ट ने सोमवार को दिए गए जवाब का लिफाफा भी नरीमन को लौटा दिया.

वरिष्ठ वकील फली नरीमन भी यहां भावकु दिखे और उन्होंने कहा, 'मैं पिछली सदी से कोर्ट में हूं. मुझे कोर्ट में 67 साल हो गए हैं, लेकिन ऐसी घटना कभी नहीं हुई. इतना अपसेट कभी नहीं हुआ.'

किस रिपोर्ट पर हुआ विवाद

दरअसल, जिस मीडिया रिपोर्ट का कोर्ट में हवाला दिया गया है, वो एक न्यूज वेबसाइट पर 17 नवंबर को छपी थी. इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सीवीसी को जो जवाब भेजे हैं, उसमें मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सच का पता लगाने के लिए सीवीसी को जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद सीवीसी ने आलोक वर्मा को जवाब देने के लिए कई सारे सवालों की एक सूची भेजी थी. वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उसने आलोक वर्मा के जवाबों की वह कॉपी देखी हैं, जो उन्होंने सीवीसी को भेजी हैं.

16 नवंबर को दिया था ये आदेश

आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप की जांच रिपोर्ट सीवीसी ने 12 नवंबर को कोर्ट में सौंपी थी. इसके बाद 16 नवंबर सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा से कहा था कि वह सीवीसी रिपोर्ट पर 19 नवंबर तक अपना जवाब दें. कोर्ट ने आलोक वर्मा से सीलबंद लिफाफे में जवाब मांगा था.

मंगलवार को जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो चीफ जस्टिस ने आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन से पूछा कि ये जवाब बाहर कैसे आए. कोर्ट ने इस पर नाराजगी भी दिखाई. चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में यहां तक कह दिया कि आपमें से कोई भी सुनवाई के लायक नहीं है. चीफ जस्टिस ने सख्त टिप्पणी करते हुए 29 नवंबर तक सुनवाई टाल दी. इसके बाद एक बार फिर फली नरीमन ने कोर्ट से वक्त मांगा और मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए बताया कि यह रिपोर्ट 17 नवंबर को छपी थी, जबकि कोर्ट का आदेश 16 नवंबर को आया था.

मंगलवार सुबह कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को कुछ दस्तावेज दिए और उन्हें बतौर वरिष्ठ वकील पढ़ने के लिए कहा. कोर्ट ने फली नरीमन से पूछा कि जो बातें आलोक वर्मा के जवाब में हैं, वही चीजें बाहर कैसे आईं. इस पर फली नरीमन ने कोर्ट के सामने बताया कि उन्हें खुद इसकी जानकारी नहीं है. फली नरीमन ने चीफ जस्टिस के सामने कहा कि रिपोर्ट का लीक होना गलत है और वह खुद इससे परेशान हूं.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली कुछ सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा था कि सीवीसी की जांच रिपोर्ट और उस पर आलोक वर्मा का जवाब सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा जाएगा. यानी कोर्ट ने इस मामले में बहुत की एहतियात बरतने के आदेश दिए थे. बावजूद इसके आलोक वर्मा के जवाब का हवाला देते हुए मीडिया में रिपोर्ट छापी गई.

बता दें कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाद दोनों शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था, और मामले की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग कर रहा था. बीते 12 नवंबर को सीवीसी ने कोर्ट को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी, जिस पर कोर्ट ने आलोक वर्मा का जवाब मांगा था. आलोक वर्मा ने सोमवार (20 नवंबर) को अपना जवाब दाखिल किया.

Sunday, November 18, 2018

प्रकृति बचाने को लड़ती अकेली औरत

इंडोनेशिया के सुमात्रा में स्थित लीज़र इकोसिस्टम धरती की एकमात्र जगह है जहां वनमानुष, गैंडे, हाथी और बाघ एक साथ रहते हैं. लेकिन आसपास विकसित हो रहे उद्योगों के चलते अब इस पर ख़तरे के बादल मंडराने लगे हैं.

इस इकोसिस्टम को बचाने के लिए पर्यावरण कार्यकर्ता फ़रविज़ा फ़रहान अकेले संघर्ष कर रही हैं. साल 2012 में उनके एनजीओ यायासन हाका ने तेल बनाने वाली एक कंपनी के ख़िलाफ़ मुकदमा किया था. उन्होंने आरोप लगाए थे कि वो कंपनी गैरक़ानूनी परमिट के ज़रिए जंगलों को काट रही है.

फ़रविज़ा का कहना है कि वन्यजीवों के लिए कोई आवाज़ नहीं उठाता इसलिए उन्होंने अकेले ही संघर्ष करने के बारे में सोचा.

जंगलों का एहसास
जंगल और प्रकृति के प्रति अपने प्रेम को फ़रविज़ा कुछ यूं बयां करती हैं, ''ज़रा सोचिए कि आप एक बड़े से पेड़ की छांव में खड़े हैं और आप ऊपर देखते हैं तो आपको हॉर्नबिल की आवाज़ सुनाई देती है. इसके बाद आप आसपास देखते हैं तो आपको गिब्बन (बंदरों की एक प्रजाति) की आवाज़ कहीं दूर से सुनाई पड़ती है.

''आप देखते हैं कि एक मादा वानर अपने बच्चे को सीने से चिपकाए पेड़ की शाखाओं पर झूल रही है. और कुछ ही देर में आप पाते हो कि लंगूरों का एक झुंड आपकी तरफ दांत दिखाते हुए चीख रहा है.''

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''इन सबके बीच कुछ दूरी से आपको मशीनों की आवाज़ भी सुनाई पड़ती है, आप उस आवाज़ को अपने करीब आता हुआ महसूस करते हो. जैसे-जैसे वो आवाज़ आपके और नज़दीक आने लगती है तो आप कोशिश करते हो कि कुछ भी करके इसे बंद कर दें और आस पास जो इतनी प्यारी आवाज़ें बह रही हैं उन्हें बचा लें.''

''आप जैसे-जैसे जंगल में बढ़ते जाते हो उसे बचाने का ख्याल उतना मज़बूत होता जाता है.''

कैसे हुआ प्रकृति से प्यार?
फ़रविज़ा फ़रहान को प्रकृति से इतना ज़्यादा प्रेम आखिर कैसे हो गया. इसके जवाब में कहती हैं, '' मैंने बीबीसी ब्लू प्लैनेट के कई कार्यक्रम देखे और इन्हें देखने के बाद मुझे इस प्रकृति से प्यार होने लगा. मैं समुद्र और उसमें पाए जाने वाले कोरल से प्यार करने लगी. मैंने बचपन में ही तय कर लिया कि मैं अपनी बाकी ज़िंदगी प्रकृति के लिए ही काम करूंगी.''

''इसके बाद मैंने मरीन बायोलॉजिस्ट की पढ़ाई की. मैं समुद्र से प्यार करती थी लेकिन मैंने देखा कि जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का हाल बेहाल था. उनकी बुरी हालत देखकर मैं बहुत नाराज़ हुई.''

''उस वक़्त मैंने भोलेपन में सोचा कि मैं इस प्रकृति को बचाऊंगी. मैंने जंगलों को बचाने के बारे में सोचा कि इनके चारों ओर तार लगा दूंगी और ये बच जाएंगे.''

Friday, November 16, 2018

राजनाथ सिंह ने की सीएम पलानीस्वामी से चर्चा

 गाजा तूफान ने तमिलनाडु (Cyclone Gaja in Tamil Nadu) में भारी तबाही मचाई है। गुरुवार देर रात यह नागपट्टिनम जिले में तट से टकराया। इसके बाद यहां 100 से 120 किलोमीटर की रफ्तार से तूफानी हवाएं चलीं और भारी बारिश हुई। न्यूज एजेंसी ने मृतकों की संख्या 23 बताई है। जबकि सीएम पलानीस्वामी ने कहा कि तूफान सेे 11 लोगों की मौत हुई और कई घायल हैं। मृतकों के परिवार को 10 लाख, गंभीर रूप से घायलों को 1 लाख जबकि मामूली रूप से जख्मी हुए लोगों को 25 हजार रुपए की सहायता राशि दी जाएगी। इस बीच, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी पलानीस्वामी से बातचीत की और उन्हें केंद्र की तरफ से पूरी मदद का भरोसा दिलाया।

तूफान से पहले बारिश
मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी थी कि तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में गाजा तूफान का असर ज्यादा रह सकता है। तमिलनाडु के कुडलोर और पामबन जिलों में भारी से बहुत भारी हो सकती है। करीब 30 हजार राहत कर्मियों को किसी भी आपदा से निपटने के लिए तैयार रखा गया। प्रशासनिक अधिकारियों और सरकार के बीच बातचीत के बाद कुछ दूसरे उपाय भी किए गए। पुड्डुचेरी और कराईकल में सभी शिक्षण संस्थान गुरुवार को बंद रखे गए।

फिशिंग पर सख्ती से रोक
पिछले महीने आए तितली तूफान के दौरान केरल के 6 मछुआरे समुद्र में फंस गए थे। बाद में इन्हें कोस्ट गार्ड ने एक स्पेशल ऑपरेशन के बाद सही सलामत निकाल लिया था। इस घटना से सबक लेते हुए मौसम विभाग ने तमिलनाडु, पुड्डुचेरी और आंध्र प्रदेश में 14 और 15 नवंबर को किसी भी मछुआरे के समुद्र में जाने पर सख्ती से रोक लगा दी थी। कोस्ट गार्ड की स्पेशल टीमों ने भी समुद्र की हर हलचल पर नजर रखी।

भारत के खिलाफ ऑस्ट्रॅलियाई टीम में स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर का न होना, टीम इंडिया में विराट कोहली और रोहित शर्मा के नहीं होना जैसा है। भारत के खिलाफ सीरीज में ऑस्ट्रेलिया को इन दोनों की कमी खलेगी। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का ऐसा ही मानना है। भारत को ऑस्ट्रेलिया में टी-20, टेस्ट और वनडे सीरीज खेलनी है। ऑस्ट्रेलियाई टीम इस सीरीज में स्मिथ और वार्नर के साथ-साथ कैमरन बैनक्रॉफ्ट के बिना उतर सकती है। तीनों पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ केपटाउन टेस्ट में गेंद से छेड़छाड़ करने के कारण प्रतिबंध लगाया गया है।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स एसोसिएशन की प्रतिबंध हटाने की मांग
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर्स एसोसिएशन (एसीए) ने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (सीए) से इन पर से प्रतिबंध हटाने की मांग की है। हालांकि, ऐसे संकेत मिले हैं कि सीए जल्दी प्रतिबंध हटाने के लिए तैयार नहीं है। स्मिथ और वॉर्नर पर साल भर का और कैमरून पर नौ महीने का प्रतिबंध है।

गांगुली ने बुधवार को यहां एक कार्यक्रम से इतर कहा, "यह बड़ी बात है। यह इसी तरह है जैसे भारतीय टीम बिना रोहित शर्मा और विराट कोहली के जाए। भारत के गेंदबाजी आक्रमण को देखते हुए यह उसका ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीतने का सुनहरा मौका है।"

गांगुली ने कहा, "भारतीय क्रिकेट के लिए यह बड़ा पल है। भारत की यह टीम अच्छी है और इसका गेंदबाजी आक्रमण शानदार है। मैंने इंग्लैंड में देखा था कि भारत के गेंदबाजों ने हर मैच में 20 विकेट लिए थे।"

पूर्व कप्तान ने कहा, "हालांकि, आपको ध्यान रखना होगा कि ऑस्ट्रेलिया अपने घर में बिल्कुल अलग टीम होती है। कई लोगों का लगता है कि वह इस समय कमजोर है लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता।"

Tuesday, November 6, 2018

बुरका वाली सिंगल मां चला रही थी पोंजी स्कीम, 500 करोड़ की धोखाधड़ी में अरेस्ट

कभी मां के साथ सब्जी बेचने वाली महिला देखते ही देखते करोड़ों की टर्नओवर वाली 17 कंपनियों की मालकिन हो गई। कुछ ही साल में बिजनस मैनेजमेंट की डिग्री लेकर कर्नाटक में राजनीतिक दल भी बना डाला। यह सिलसिला तब रुका जब मुंबई पुलिस ने निवेशकों के साथ 500 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोप में नौहरा शेख को गिरफ्तार किया।

अपनी मां के साथ तिरुपति के दक्षिणी हिस्से में फेरी लगाकर सब्जियां बेचने वाली एक महिला देखते ही देखते करोड़पति बन गई। इसकी वजह बने उसकी कंपनियों में निवेश करने वाले लोग, जिनकी बदौलत 45 साल की उम्र में बुरका पहनने वाली सिंगल मदर 17 कंपनियों की मालकिन बन गई और उनका 1000 करोड़ का टर्नओवर है। दो लाख से ज्यादा निवेशकों के साथ नौहेरा शेख नाम की महिला की पोंजी स्कीम चल रही थी।

देखते-देखते नौहेरा शेख ने अपना कारोबार तैयार कर लिया और बिजनस मैनेजमेंट में डिग्री लेने के बाद न सिर्फ लड़कियों के लिए एक मदरसा खोला, बल्कि कर्नाटक से चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक पार्टी भी बना डाली। नौहेरा शेख जितनी तेजी से सफलता की ओर बढ़ी, उतनी ही तेजी से उनके पतन की शुरुआत भी हो गई हैपोंजी स्कीम के चलते सात साल में इतना पैसा जुटाने वाली नौहेरा पर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगा है।

500 करोड़ की धोखाधड़ी की आरोपी
पोंजी स्कीम में 36 से 42 प्रतिशत के रिटर्न का वादा करने वाली नौहेरा की कंपनियों के एजेंट्स ने महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में खूब निवेशक जुटाए। यहीं से गड़बड़ की शुरुआत भी हो गई और हवाला स्कैम भी सामने आया। मई 2018 तक शेख ने फंड्स का हेरफेर शुरू किया और एक के बाद एक पुलिस शिकायतों में उनका नाम आया। आज शेख करीब 500 करोड़ की धोखाधड़ी की आरोपी है। 

मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर नौहेरा शेख से पूछताछ की है, जिसके बाद उसे हैदराबाद पुलिस को सौंप दिया गया। नौहेरा को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने निवेशक शाने इलाही की शिकायत के आधार पर 25 अक्टूबर को गिरफ्तार किया। बीते दिनों इंटेलिजेंस एजेंसीज भी मुंबई पुलिस से इस बारे में पूछताछ करने पहुंचीं। एक जांच अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर निवेशक मुस्लिम समुदाय के हैं जिनसे इंटरेस्ट फ्री हलाल बिजनस का वादा किया गया है। 

महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में तेज आवाज में संगीत बजाने के कारण एक ट्रैक्टर चालक की कथित तौर पर पीट-पीटकर जान लेने पर दो पुलिस कांस्टेबलों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी के मुताबिक, प्रदीप कुटे (24) रविवार शाम को माधा से अपना ट्रैक्टर लेकर चीनी मिल जा रहा था। मानेगांव पुलिस चौकी के पास उसे कांस्टेबल दशरथ कुंभार और दीपक क्षीरसागर ने रोका। उन्होंने कुटे को तेज आवाज में संगीत बजाने के लिए डाँटा और फिर उसकी पिटाई की, जिसके बाद वह अचेत होकर गिर गया।

उन्होंने बताया कि दोनों कांस्टेबल कुटे को एक नजदीक अस्पताल में ले गये लेकिन डॉक्टरों ने उसे वहां पहुंचने के साथ ही मृत घोषित कर दिया। माधा पुलिस ने शुरू में आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया लेकिन उस्मानाबाद के भूम तहसील से आये कुटे के परिजनों ने पुलिस थाने के सामने विरोध प्रदर्शन किया। वे लोग प्रदर्शन में कुटे के शव को भी लाए थे। इसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने मामले में हस्तक्षेप किया और सोमवार को कुंभल और क्षीरसागर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि कुटे की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारण का पत लग सकेगा।

Friday, November 2, 2018

एम जे अकबर ने मेरा रेप किया था', US में बसी भारतीय पत्रकार का आरोप

पल्लवी गोगोई ने बताया कि पुलिस में शिकायत करने के बजाय मुझे ज्यादा जिल्लत महसूस हो रही थी. मैंने इस बारे में किसी को भी नहीं बताया, क्या कोई मेरी बात पर भरोसा करता? मैंने खुद को ही दोषी मान लिया.

कैंपेन के तहत 20 से ज्यादा महिलाओं की ओर से लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद अब बीजेपी सांसद एम जे अकबर पर एक महिला पत्रकार ने रेप का आरोप लगाया है. अमेरिका में रहने वाली पत्रकार पल्लवी गोगोई में एशियन एज में काम करने के दौरान अपने साथ रेप की घटना का जिक्र किया है, जब एम जे अकबर उनके बॉस हुआ करते थे.

वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित पल्लवी गोगोई के बयान के मुताबिक जयपुर के एक होटल में अकबर खबर पर चर्चा के लिए पल्लवी के साथ थे. जहां होटल के कमरे में उन्होंने पल्लवी का रेप किया. दोनों के बीच काफी हाथपाई हुई लेकिन पल्लवी लिखती हैं, 'मैंने काफी संघर्ष किया, लेकिन वो शारीरिक तौर पर मुझसे ज्यादा ताकतवर थे. उन्होंने मेरे कपड़े फाड़ दिए और मेरा रेप किया.'

पल्लवी गोगोई ने बताया कि पुलिस में शिकायत करने के बजाय मुझे ज्यादा जिल्लत महसूस हो रही थी. मैंने इस बारे में किसी को भी नहीं बताया, क्या कोई मेरी बात पर भरोसा करता? मैंने खुद को ही दोषी मान लिया, मैं होटल के कमरे में गई ही क्यों थी?

इससे पहले साल 1994 की एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए पल्लवी ने कहा, 'मैं उनके ऑफिस गई थी और कमरे का दरवाजा बंद था. मैंने उन्हें ओ-पेड पेज दिखाया और बताया कि कैसे इसकी हेडलाइन्स और रोचक बनाई हैं. अकबर ने मेरी कोशिश की तारीफ की और तुरंत मुझे किस करने के लिए लपके. इसके बाद मेरे चेहरा शर्म से लाल हो गया, मैंने अपनी एक सहयोगी को इस पूरे घटना के बारे में बताया.'

पल्लवी ने कहा कि अब से 2 हफ्ते पहले अकबर विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके हैं. उन्होंने अन्य महिला पत्रकारों की ओर से लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया और एक शिकायतकर्ता के खिलाफ कोर्ट चले गए. इससे मुझे हैरानी नहीं हुई, वो अपने 'सच' को गढ़ने में लगे हैं. मुझे आज बोलकर कुछ हासिल होने वाला नहीं है. लेकिन ये हृदय विदारक था और करीबी लोग मेरा दर्द समझेंगे.

पल्लवी ने बताया कि वो आज उन महिलाओं के समर्थन के लिए लिख रही हैं जिन्होंने अपने सच को बयां किया. साथ ही अपनी जवान बेटी और बेटे के लिए, ताकि जब कोई उन्हें शिकार बनाए तो वो लड़े सकें और कभी विक्टिम न बने. वो जान सकें कि 23 साल पहले मेरे साथ क्या हुआ था, मैं ऐसे बुरे वक्त से होकर गुजरीं हूं और अब मैं उससे आगे बढ़ रही हूं.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर कई अखबारों के संपादक रहे हैं. उनके ऊपर अब तक कई महिला पत्रकारों ने कैंपेन के तहत आरोप लगाए हैं. अकबर पर पहला आरोप प्रिया रमानी नाम की वरिष्ठ पत्रकार ने लगाया था जिसमें उन्होंने एक होटल के कमरे में इंटरव्यू के दौरान की अपनी कहानी बयां की थी.

रमानी के आरोपों के बाद अकबर के खिलाफ आरोपों की बाढ़ आ गई और एक के बाद एक कई अन्य महिला पत्रकारों ने उन पर संगीन आरोप लगा रही हैं. एक महिला पत्रकार के खिलाफ अकबर ने कोर्ट का रुख किया, जहां इस मामले की सुनवाई चल रही है. हालांकि दबाव के बीच एम जे अकबर कुछ दिन पहले विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे चुके हैं.