Monday, November 19, 2018

सीक्रेट रिपोर्ट लीक होने पर भड़के CJI, 29 तक टाली सुनवाई

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को दो बार सुनवाई हुई. सुबह सबसे पहले कोर्ट लगते ही इस केस की सुनवाई शुरू हुई और चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को कुछ दस्तावेज देते हुए पूछा कि जो रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी गई, वो पहले ही सार्वजनिक कैसे हो गई.

कोर्ट ने नरीमन से ये पूछते हुए सख्त लहजे में नाराजगी जाहिर की और सुनवाई 29 नवंबर तक टालने का आदेश दिया. फली नरीमन ने भी इस पर अफसोस जताया और कहा कि उन्हें खुद इस बात की जानकारी नहीं है कि ये रिपोर्ट कैसे बाहर आई.

इसके बाद फली नरीमन ने कोर्ट से फिर अपील की और गोपनीय जवाब मीडिया रिपोर्ट में लीक होने पर सफाई दी. वरिष्ठ वकील नरीमन ने कोर्ट को बताया कि यह रिपोर्ट 17 नवंबर को छपी थी, जबकि कोर्ट ने आलोक वर्मा को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 16 नवंबर को आदेश दिया था. हालांकि, चीफ जस्टिस उनके इस जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आए और उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सर्वोच्च गोपनीयता बरती जानी चाहिए.

भावुक हुए नरीमन

कोर्ट ने सख्त लहजे में नरीमन को सीवीसी और मीडिया रिपोर्ट की कॉपी लौटा दी. कोर्ट ने कहा कि संस्थानों का सम्मान और उनकी मर्यादा बनी रहनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने यहां तक कहा कि मैं आपको कोई कागज दूं और मेरा स्टाफ बीच में ही उड़ा ले, ये क्या है. इसके अलावा कोर्ट ने सोमवार को दिए गए जवाब का लिफाफा भी नरीमन को लौटा दिया.

वरिष्ठ वकील फली नरीमन भी यहां भावकु दिखे और उन्होंने कहा, 'मैं पिछली सदी से कोर्ट में हूं. मुझे कोर्ट में 67 साल हो गए हैं, लेकिन ऐसी घटना कभी नहीं हुई. इतना अपसेट कभी नहीं हुआ.'

किस रिपोर्ट पर हुआ विवाद

दरअसल, जिस मीडिया रिपोर्ट का कोर्ट में हवाला दिया गया है, वो एक न्यूज वेबसाइट पर 17 नवंबर को छपी थी. इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने सीवीसी को जो जवाब भेजे हैं, उसमें मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सच का पता लगाने के लिए सीवीसी को जांच का आदेश दिया था, जिसके बाद सीवीसी ने आलोक वर्मा को जवाब देने के लिए कई सारे सवालों की एक सूची भेजी थी. वेबसाइट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि उसने आलोक वर्मा के जवाबों की वह कॉपी देखी हैं, जो उन्होंने सीवीसी को भेजी हैं.

16 नवंबर को दिया था ये आदेश

आलोक वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप की जांच रिपोर्ट सीवीसी ने 12 नवंबर को कोर्ट में सौंपी थी. इसके बाद 16 नवंबर सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा से कहा था कि वह सीवीसी रिपोर्ट पर 19 नवंबर तक अपना जवाब दें. कोर्ट ने आलोक वर्मा से सीलबंद लिफाफे में जवाब मांगा था.

मंगलवार को जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो चीफ जस्टिस ने आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन से पूछा कि ये जवाब बाहर कैसे आए. कोर्ट ने इस पर नाराजगी भी दिखाई. चीफ जस्टिस ने अपनी टिप्पणी में यहां तक कह दिया कि आपमें से कोई भी सुनवाई के लायक नहीं है. चीफ जस्टिस ने सख्त टिप्पणी करते हुए 29 नवंबर तक सुनवाई टाल दी. इसके बाद एक बार फिर फली नरीमन ने कोर्ट से वक्त मांगा और मीडिया रिपोर्ट पर सफाई देते हुए बताया कि यह रिपोर्ट 17 नवंबर को छपी थी, जबकि कोर्ट का आदेश 16 नवंबर को आया था.

मंगलवार सुबह कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के वकील फली नरीमन को कुछ दस्तावेज दिए और उन्हें बतौर वरिष्ठ वकील पढ़ने के लिए कहा. कोर्ट ने फली नरीमन से पूछा कि जो बातें आलोक वर्मा के जवाब में हैं, वही चीजें बाहर कैसे आईं. इस पर फली नरीमन ने कोर्ट के सामने बताया कि उन्हें खुद इसकी जानकारी नहीं है. फली नरीमन ने चीफ जस्टिस के सामने कहा कि रिपोर्ट का लीक होना गलत है और वह खुद इससे परेशान हूं.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली कुछ सुनवाई के दौरान साफ तौर पर कहा था कि सीवीसी की जांच रिपोर्ट और उस पर आलोक वर्मा का जवाब सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपा जाएगा. यानी कोर्ट ने इस मामले में बहुत की एहतियात बरतने के आदेश दिए थे. बावजूद इसके आलोक वर्मा के जवाब का हवाला देते हुए मीडिया में रिपोर्ट छापी गई.

बता दें कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच आरोप-प्रत्यारोप के बाद दोनों शीर्ष अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया था, और मामले की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग कर रहा था. बीते 12 नवंबर को सीवीसी ने कोर्ट को जांच रिपोर्ट सौंप दी थी, जिस पर कोर्ट ने आलोक वर्मा का जवाब मांगा था. आलोक वर्मा ने सोमवार (20 नवंबर) को अपना जवाब दाखिल किया.

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