Thursday, December 13, 2018

सियासत का वो जादूगर जो तीसरी बार बनेगा राजस्थान का मुख्यमंत्री

राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम पर लंबी कश्मकश के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पर भारी पड़े. एक बार फिर जब राज्य में कांग्रेस आलाकमान के समक्ष 2008 जैसी स्थिति खड़ी हो गई, तब पार्टी ने अपने जादूगर पर ही भरोसा जताया है जो सबको साथ लेकर चल सके.

दरअसल साल 2008 में जब कांग्रेस बहुमत के जादुई आंकड़े से 5 सीट दूर रह गई थी और मुख्यमंत्री के तौर पर तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम आगे चल रहा था, तब भी अंत में पार्टी ने गहलोत पर ही भरोसा जताया था. हालांकि इस बार पार्टी आलाकमान को सामने निर्णय में थोड़ी कठिनाई हुई  क्योंकि 2008 के चुनाव में जोशी एक वोट से हार गए थे. इसके बरक्स इस बार प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट विधानसभा का चुनाव जीते हैं.

कैसे बने राहुल के राइट हैंड

राजस्थान की राजनीति में जातीय वर्चस्व को तोड़ते हुए शीर्ष पर पहुंचने वाले नेताओं में यदि किसी का नाम सबसे आगे आएगा है तो वो अशोक गहलोत हैं. सूबे के दो बार मुख्यमंत्री रहे गहलोत का परिवार माली समाज से आता है. इनका परिवार किसी जमाने में जादूगरी का करतब दिखाता था. गुजरात के प्रभारी के तौर पर उन्होंने वहां की युवा तिकड़ी हार्दिक-अल्पेश-जिग्नेश को कांग्रेस के साथ खड़ाकर पार्टी को जीत की दहलीज पर ला खड़ा किया. जिसके बाद बतौर संगठन महासचिव गहलोत पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में अध्यक्ष राहुल गांधी के राइट हैंड के तौर पर उभरे.

इंदिरा की पड़ी नजर, संजय ने दिलाई पहचान

अशोक गहलोत को 70 के दशक में कांग्रेस में शामिल होने का मौका मिला था, जब पू्र्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय पार्टी में संजय गांधी की चलती थी. जब संजय गांधी के करीबियों ने उन्हें अशोक गहलोत के बारे में बताया तो उन्होंने गहलोत को राजस्थान में पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई का अध्यक्ष बनाया. गहलोत को शुरुआती दिनों में संजय गांधी की मंडली के लोग 'गिली बिली' कहकर संबोधित करते थे.

कुछ लोगों का मानना है कि अशोक गहलोत पर सबसे पहले स्वयं इंदिरा गांधी की नजर पड़ी थी. जब पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में विद्रोह के बाद पूर्वोत्तर में शरणार्थी संकट खड़ा हो गया था. गहलोत की उम्र उस वक्त 20 साल थी, और इंदिरा ने उन्हें राजनीति में आने का न्योता दिया. जिसके बाद गहलोत ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के इंदौर सम्मेलन में हिस्सा लिया और यहीं उनकी मुलाकात संजय गांधी से हुई.

युवा कांग्रेस के विस्तार का दौर जिसने कई कद्दावर नेता दिए

कांग्रेस के इंदौर सम्मेलन में दिवंगत नेता प्रियरंजन दासमुंशी युवा कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए थे. यह वो समय था जब इंदिरा और संजय गांधी युवा कांग्रेस को दक्षिण पंथी जनसंघ और उसके सहयोगी संगठन से मुकाबले के लिए तैयार करना चाहते थे. जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में यह काल युवा नेतृत्व के उभार का स्वर्णिम काल था. इस दौरान पार्टी को कई अहम नेता मिले जिसमें अशोक गहलोत , कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, अंबिका सोनी, वायलार रवि, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद और बीके हरिप्रसाद शामिल हैं. यह सभी नेता आज के कांग्रेस में बड़ी हैसियत रखते हैं.

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