Wednesday, December 5, 2018

कौन चाहता था अगस्ता डील में मिशेल ले गांधी परिवार का नाम?

अगस्ता-वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील में घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीम मंगलवार देर रात कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को दुबई से भारत ले आई. ऐसे में दुबई में गिरफ्तारी से पहले वहां के अधिकारियों को मिशेल द्वारा दिए गए बयान में मिशेल ने कहा है कि मौजूदा सरकार द्वारा इस मामले में उनका नाम इसलिए लिया जा रहा है ताकि वो पूर्व की मनमोहन सरकार और गांधी परिवार के खिलाफ गवाही दें.

इंडिया टुडे के हाथ लगे कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल जेम्स ने दुबई के अधिकारियों को दिए अपने बयान में कहा, "भारत में मैने पिछली सरकार के साथ काम किया था जिसका नेतृत्व डॉ. मनमोहन सिंह कर रहे थे और 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बदल गई थी. मुझे एक बार फिर आरोपी बनाया गया है क्योंकि मैंने पिछली सरकार के साथ रक्षा मंत्रालय को हेलिकॉप्टर सप्लाई करने में शामिल था. मैं तीन साल पहले भारत गया था."

दुबई के अधिकारियों द्वारा डील में 70 मिलियन यूरो की घूस के सवाल पर क्रिश्चियन मिशेल ने अपने जवाब में कहा, "मैं अपने पहले के बयान पर कायम हूं. जिसमें मैंने कहा था कि मैंने पिछली मनमोहन सिंह सरकार के साथ काम किया था और 2014 में यह सरकार बदल गई जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं. पिछली सरकार के खिलाफ गवाही देने के लिए दबाव डालने के उद्देश्य से मेरा नाम इस केस में डालने की कोशिश हो रही है." मिशेल ने कहा, "इस डील में मेरी तरफ से किसी भी तरह घूस और धोखाधड़ी नहीं की गई और जब विमान की उड़ान की क्षमता 6000 मीटर से घटाकर 4000 मीटर की गई तब मैं कंपनी की भारतीय शाखा में काम नहीं करता था. बल्कि कंपनी की यूके की ब्रांच में काम करता था."

मिशेल ने अपने बयान में कहा कि वे इस मामले में सिर्फ तीन व्यक्ति को जानते हैं, जिमें गुइदो हाश्के और फिनमेकानिका के पूर्व प्रमुख गुसेप ओर्सी इतालवी नागरिक हैं, जबकि जूली त्यागी भारतीय नागरिक है.

क्या है मामला?

गौरतलब है कि 2010 में भारतीय वायुसेना के लिए 12 वीवीआईपी हेलि‍कॉप्टर खरीदने के लिए एंग्लो-इतालवी कंपनी अगस्ता-वेस्टलैंड और भारत सरकार के बीच करार हुआ था. जनवरी, 2014 में भारत सरकार ने 3600 करोड़ रुपये के करार को रद्द कर दिया. आरोप था कि इसमें 360 करोड़ रुपये का कमिशन लिया गया.

इसके बाद भारतीय वायुसेना को दिए जाने वाले 12 एडब्ल्यू-101 वीवीआईपी हेलिकॉप्टरों की सप्लाई के करार पर सरकार ने फरवरी 2013 में रोक लगा दी थी. जिस वक्त यह आदेश जारी किया गया, भारत 30 फीसदी भुगतान कर चुका था और बाकी तीन अन्य हेलिकॉप्टरों के लिए आगे के भुगतान की प्रक्रिया चल रही थी.

यह मामला इटली की अदालत में चला जिसमें ये बातें उजागर हुईं कि 53 करोड़ डॉलर का ठेका पाने के लिए कंपनी ने भारतीय अधिकारियों को 100-125 करोड़ रुपये तक की रिश्वत दी थी. इतालवी कोर्ट के फैसले में पूर्व आईएएफ चीफ एस पी त्यागी का भी नाम सामने आया था.

No comments:

Post a Comment