Wednesday, February 6, 2019

CBI बनाम ममता बनर्जी: वो राजीव कुमार, जिनके लिए ममता बैठ गईं धरने पर

रविवार को पश्चिम बंगाल में कोलकाता पुलिस और सीबीआई के बीच तकरार का बेहद नाटकीय अंदाज़ देखने को मिला.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर 'राजनीतिक बदले की भावना' से काम करने का आरोप लगाया और रविवार देर रात से ही धरने पर बैठ गईं.

दरअसल, रविवार को सीबीआई की एक टीम कोलकाता के कमिश्नर राजीव कुमार के घर शारदा चिटफंड और रोज़ वैली मामले में पूछताछ के लिए पहुंची. लेकिन कोलकाता पुलिस सीबीआई अधिकारियों को शेक्सपियर सारणी थाने ले गई. राज्य पुलिस का कहना है कि सीबीआई की टीम के पास कोई वारंट नहीं था.

इस मामले की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजीव कुमार के आवास पहुंची और इसे 'केंद्र सरकार का राज्य पर हमला' बताया.

सवाल ये है कि जिस पुलिस अधिकारी को लेकर पश्चिम बंगाल में मामला ममता बनर्जी बनाम सीबीआई बन चुका है, आखिर वो हैं कौन?

1989 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार इस समय कोलकाता के पुलिस कमिश्नर हैं. राजीव कुमार का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ ज़िले में हुआ. उन्होंने आईआईटी कानपुर से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.

अपनी पुलिस की नौकरी में उन्होंने अपनी तकनीकी जानकारी का खूब इस्तेमाल किया. उन्हें पश्चिम बंगाल पुलिस में सर्विलांस का बेहतर इस्तेमाल करके अपराधियों को पकड़ने के लिए जाने जाता है.

90 के दशक में राजीव कुमार ने बीरभूम जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रहते हुए कोयला माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ी थी. उन्होंने कई कोयला माफियाओं को पकड़ा, इस वक्त पश्चिम बंगाल में कोयला माफ़ियाओं के ख़िलाफ़ कोई पुलिस अधिकारी कार्रवाई नहीं करते थे.

अपनी सूझ-बूझ के दम पर राजीव कुमार सरकार के करीबी बन गए. विपक्ष में रहते हुए तब ममता बनर्जी ने इन्हीं राजीव कुमार पर अपना फ़ोन रिकॉर्ड करने का आरोप लगाया था. लेकिन जब ममता बनर्जी सत्ता में आईं तो वे ममता सरकार के भी करीबी अधिकारियों में शुमार हो गए.

साल 2016 में उन्हें कोलकाता का कमिश्नर नियुक्त किया गया.

कुमार इससे पहले बिधाननगर के कमिश्नर भी रह चुके हैं. इसके अलावा वे कोलकाता पुलिस से अंतर्गत स्पेशल टास्क फ़ोर्स के चीफ़ भी रह चुके हैं.

साल 2013 में सामने आए शारदा चिट फ़ंड और रोज़ वैली घोटाले में जब जांच के लिए राज्य सरकार ने विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाई तो उसके चीफ़ राजीव कुमार बनाए गए. साल 2014 में जब सुप्रीम कोर्ट ने ये दोनों मामले सीबीआई को सौंप दिए. सीबीआई ने आरोप लगाया कि कई दस्तावेज, लैपटॉप, पेन ड्राइव, मोबाइल फ़ोन राजीव कुमार ने सीबीआई को नहीं सौंपे गए.

इस बाबात सीबीआई ने राजीव कुमार को कई समन भी भेजा लेकिन सीबीआई का आरोप है कि वे पेश नहीं हुए.

सीबीआई का कहना है कि वह रविवार को चिटफ़ंड मामले में ही राजीव कुमार से पूछताछ के लिए उनके आवास पर पहुंची थी.

शारदा कंपनी की शुरुआत जुलाई 2008 में हुई थी.

देखते ही देखते ये कंपनी हजारों करोड़ की मालिक बन गई. इस कंपनी ने आम लोगों से भारी निवेश करवाया था और वादों को पूरा करने में नाकाम साबित रही थी.

इस कंपनी के मालिक सुदिप्तो सेन ने 'सियासी प्रतिष्ठा और ताक़त' हासिल करने के लिए मीडिया में खूब पैसे लगाए और हर पार्टी के नेताओं से जान पहचान बढ़ाई थी.

कुछ ही सालों में वे अरबपति हो गए. शारदा ग्रुप के खिलाफ पहला मुक़दमा 2013 में 16 अप्रैल को दर्ज किया गया.

इसके बाद शारदा के सुदिप्तो सेन फरार हो गए. बाद में उन्हें कश्मीर से गिरफ्तार किया गया. उनके गिरफ्तार होते ही कंपनी ठप पड़ गई.

साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने शारदा चिट फंड घपले की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था. पश्चिम बंगाल सरकार इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का विरोध करती रही है.

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